TWO LINERS

"यूँ तो गलती अक्सर होती बेवफ़ाई करने वाले की है,
मगर हर निभाने वाले को ये एहसास कुछ हासिल करने से पहले,
और हर बेवफ़ा को सच्ची मोहब्बत खोने के बाद होता है..." 

"उनके बिन कहे समझ गए थे उनकी मज़बूरी,
इसीलिए हमने भी बना ली थी उनसे दूरी..."

"खुदा की कसम! भा गई हमें उनकी बावफाई,
क्यूँकि बेवफ़ा होने से बेहतर है, जुदाई..."

"जो चढ़ के उतर जाए वो खुमार कैसा?,
जो सिर्फ जिस्म देख कर किया जाए, फिर वो प्यार कैसा...???"

"तुम्हें डूबने से पहले आगाह किया था उसने,
बीच समन्दर में बेवजह तैरने तुम खुद गए थे..."

"जब मोहब्बत में समझौता करना पड़े,
तो समझ लेना, की सिर्फ रिश्ता बचा है मोहब्बत नहीं..."

"कल तक जो मुझे कहता था, कि तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो,
आज वो मेरी सहेली को अपनी आखिरी मोहब्बत का खिताब दे रहा है..."

"दिल आप दे बैठोगे हम नहीं,
हमारी आँखों का नशा झेल जाए कोई,
अभी किसी में वो दम नहीं..."

"जिंदगी कब कहाँ पलट जाए ये कोई नहीं जानता,
और मेहनत करने वाला कभी हार नहीं मानता।"  

"अजीब सा हुनर दिया है ऊपर वाले ने हमें,
ना कोई याद आता है, और ना ही भुला जाता है..."

"यूँ तो वो रास्ता मुश्किल है, हम जिस रास्ते पर चलते हैं,
फिर भी ना जाने क्यूँ कुछ लोग, हमसे बेवजह जलते हैं..."
"जिनका दिल राख हो चुका हो, 
वो नहीं डरते फिर किसी आग से..."
"कह दो उनसे, की हमें दिल टूटने का खौफ़ नहीं अब,
क्यूँकी दिल को जिगरे से बदल दिया है हमने..."
"मैं खुश रहती हूँ उनके लिए,
जिन्हें मेरी आँखों में आँसू अच्छे लगते हैं..."


"चलो अच्छा लगा ये जानकर कि उन्हें हमारी शायरी पसंद आयी,
नहीं तो हमने तो आजतक लोगों को यही कहते सुना है कि,ये बोलती बहुत है"

"शुक्रिया उनका जो हमारी तारीफ़ करते हैं,
नहीं तो अक्सर लोग हमें चीड़-चिड़ा  बताते हैं..."

"ये जुल्फों के साये, ये आँखों की चमक, तो बस कुछ पल की कहानी है,
असल मुद्दा तो ये है कि, उन्हें अपनी प्यास बुझानी है..."

"मैं तो टूटा हुआ शीशा हूँ भला मेरे लिए तुम क्यूँ ठहरोगे,
मालूम है मुझे जब दिल भर जाएगा, तो तुम भी उसकी तरह,
नई मंज़िल की तलाश मे चल दोगे..."

"चलो वो बेशर्म सही तुम शर्म कर लो!
उसने किसी और से कर ली, तुम खुद से मोहब्बत कर लो!!"

"क्यूँ उदास हो मुस्कराओ खुलकर किसने रोका है,
लगता है तुमने भी खाया किसी अपने से धोखा है.."

"जब हमें इंतज़ार था उनके कुछ कहने का तब वो खामोश थे,
अब कह दो उनसे की हमें उनकी आवाज़ में कोई दिलचस्पी नहीं..."

"किसी और से पहले खुद की रूह से मोहब्बत करो! 
फिर देखना आईना भी तुम्हारी तारीफ़ करेगा!!"

"शराब का नशा भी कोई नशा है,कभी इश्क़ करके देखो!
तुम तो हर नशे से वाकिफ़ हो, ज़रा ये भी करके देखो!!"

"वो लाख दबा लें अपने दिल की बात, मगर नज़रें दिल के राज़ खोल ही जाती है! 
कोई कह दो उनसे, हमें नजरें पढ़नी भी आती है!!"

"हम तो मुस्कराते हैं उनकी मुस्कुराहट देख कर!
कोई कह दो, हमें मोहब्बत है उनसे  इस गलतफ़हमी में ना रहें!!"

"हमने तो उनका ख्याल भी दिमाग से निकल दिया,
अब उनके लिए दिल में मोहब्बत कहाँ से लाएं...??"

"उसने देखा मेरी आँखों में और कहा उसने मुझ जैसा नहीं देखा,
हम वाकिफ़ थे उनकी बेवफ़ाई की अदा से, तो हमने भी कह दिया,
की हमने भी तुम सा आज तक नहीं देखा..."

"किसी के आने की उम्मीद ना कर,
क्यूँकी दिल टूटने पर इतना दर्द नहीं होता,
जितना उम्मीद टूटने पर होता है..."

बेवक़ूफ़ है वो लोग जो खुदकुशी करते हैं,
इससे तो अच्छा है कि, किसी बेवफ़ा से मोहब्बत कर लो...

"दिल ए ज़ज्बात को काबु में रखना,
सुना है बेकाबू दिल होता है,
और बदतमीज जुबाँ हो जाती है।"

"ना तुम कुछ कहना, ना हम कुछ सुनेंगे,
तुम दिल से कहना, हम धड़कन सुन लेंगे..." 
"कहते हैं जुबाँ जो नहीं कह पाती,
वो आंखें और चेहरे बता दिया करते हैं,
बस इसीलिए हमने तो देखना ही बंद कर दिया लोगों को,
क्यूँकी सच हमसे छुपता नहीं,और लोग सच्चाई सुन नहीं पाते।" 

"तुम हिम्मत तो करो साथ हम देंगे,
तुम लिखो तो सही शायरी मुहब्बत वाली,
कम पड़े तो ज़ज्बात हम देंगे।"
"लगता है हमारा महफिल में आना उन्हें पसंद नहीं आया,
इसीलिए शायद अपनों की महफिल आज बेगानी सी लाग रही है..." 

"जब समझाया था कि यकीन करो मुझपर तब तुमने नहीं सुना,
तुम भी जानते हो कि कितनी मज़बूरी में था हमने वो रास्ता चुना"

"हमारा इरादा तो नहीं था मंज़िल बदलने का,
मगर जहां इज्ज़त और भरोसा ना हो वहाँ नहीं रहना चाहिए"

"ये मेरा दिल उससे बिछड़ कर अंदर ही अंदर चीख रहा है,
मगर सुकून है मुझे की वो मुझसे बिछड़ कर अब अकेले जीना सीख रहा है"

"मुहब्बत हो या नफ़रत,
दोनों में, दोनों की रज़ामंदी ज़रूरी है..."
खेल, खेलना तो हमें भी आता था ,
मगर हर बार हार जाते थे,
उसकी एक मुस्कुराहट देखने के लिए...

"उसने सोचा कि मैं मोहरा हूँ, और उसके इशारों पर चलूँगी,
वो नासमझ ये नहीं जानता था कि,
शतरंज का शौक हमने उसके लिए छोड़ा था..."


"स्वागत है हर उस शख्स का जो मेरी जिंदगी में आना चाहता है,
और भाड़ में जाये वो आज ही जो मेरी जिंदगी से कल जाना चाहता है"

"मुझे इंतजार है उस शाम का, जब हम तीनों साथ होंगे,
वो, मैं और वो पहली मुलाकात वाली खामोशी।"

"अभी तो मिलें भी नहीं वो हमसे,
और अभी से उन्हें हम पसंद आगए"

"सुनो...इश्क़ करना मगर हद्द से मत गुजरना,
क्यूँकी आज वो किसी की बेटी है,
कल कोई तुम्हारी भी बेटी होगी"


मेरा और उसका रिश्ता महज़ दोस्ती का है,
मगर उसकी जलन बता रही है, कि दोस्ती अब मुहब्बत मे बदलने लगी है...

यूँ तो किताबें बहुत पढ़ीं हैं मैंने ,
मगर अब लोगों के चेहरे पढ़ना सीख रही हूँ...
आया तो था वो आखिरी बार भी मिलने तुमसे,
काश तुम पीछे मुड़ जाते।
हाँ! जाएंगे खुदा के घर, बस फर्क़ इतना होगा कि,
 तुम सर झुका कर जाओगे, और हम सर उठा कर।

मुहब्बत करो किसने रोका है?
मगर अदब के लिए अपना गुरूर दांव पर ना लगा बैठना....

"फ़ूल भी खिल सकता था, 
 और हम भी मिल सकते थे,
    मगर उन्होंने कोशिश ही नहीं की..."

"एक किस्सा आम है शायरों का,
 कोई धोखा खाकर बनता है,
 तो कोई देकर..."

"वो कहते हैं उन्हें मोहोब्बत है हमसे,
मगर उनकी नज़रें, ज़ुबाँ का साथ नहीं देती" 

"ग़र इश्क़ आसान होता,
तो, दुनिया उसे आग का दरिया ना कहती..."

"लोग पानी के दरिया से नहीं निकल पाते,
इश्क़ तो फिर आग का दरिया था ,भला हम कैसे निकल जाते..."

"जो इश्क़ हासिल हो जाए वो इश्क़ ही क्या,
इश्क़ का मज़ा तो दूर रहकर तड़पने में आता है।"

"शराब और मुहब्बत में बस इतना-सा फर्क़  है,
शराब से दूर होकर दवा के सहारे जी सकते हैं ,
मगर मुहब्बत से दूर होकर जीने के लिए दुआ भी कम पड़ती है..."

"अब इन आँखों से आंसू नहीं बहते हैं,
क्यूँकी अब वो कहीं और रहते हैं।"

"तुम कह तो रहे हो कि सीने में दर्द, मुहब्बत की वजह से है,
मगर मेरी बात मानो तो एक बार, डॉक्टर को दिखा लो...
क्या पता ये दर्द-ए-दिल का नहीं दर्द-ए-पेट का मामला हो।"

खुदा ने बस एक ही तो हुनर दिया है,
"कभी ना भूलने का"...

"ऊब गए हों तुम घर बैठे - बैठे,
ज़रा उनका भी तो सोचो जिनके सर पे छत भी नहीं है...(कोरोना पीड़ित के हित में)" 

 हमने बड़े रूमानी अंदाज़ में कहा था उनसे की,
"हम आपके दिल में रहते हैं",
और उनकी बेरुखी तो देखो,
अगली सुबह किराया मांगने आगए...

"वो समझते रहे हम उनकी शायरी सुनने जाते थे,
 मगर हम तो उनकी अदा और अंदाज़-ए-ब्यां के दीवाने थे..."

"धुएँ का नशा तो बस कुछ देर का नशा है,
  तुम एक बार मुहब्बत करके तो देखो,
  पूरी जिंदगी नशे मे ना निकल जाएगी,
  फिर भी तङप खत्म नहीं होगी।"

"लिखते हम भी हैं ज़ज्बात-ए- मुहब्बत,
  कभी हिंदी, तो कभी उर्दू में,
  मगर मुहब्बत करने वालों पर हसने का गुनाह आज तक ना कर सके..."

"मत मांग दुआ मेरी खैरियत की,
मेरी खुशी तो तेरी मुस्कुराहट से है..."

"बड़ा अजीब-सा किस्सा है खुदा और मेरा,
 जो माँगा वो कभी मिला नहीं,
और जो मिला उसकी कभी ख्वाहिश ही ना थी..."

"वो कहते थे की जो तुम चले गए तो महफिल सूनी हो जाएगी,
और हमारे जाते ही महफिल में शहनाईयां बज उठी..."

"इश्क़ के इन्तज़ार में वो नशा है,
जो ना भुला जाता है, ना किया जाता है..."

"इश्क़ में खामोशी भी एक जुबाँ है,
मगर हद से ज्यादा खामोश रहने वाले की,
मुहब्बत के किस्से अक्सर अधूरे रह जाते हैं..."

"मुहब्बत बिछौड़े के बिना अधूरी होती है,
और बिछड़ने के बाद मुहब्बत अधूरी रह जाती है..."

"इश्क़ का दस्तूर है,
की हर घड़ी इम्तहान लेती है,
मगर नतीज़ा उस के बाद भी, नहीं बताती..."

"शायर, शायरी करता है अपने ग़म सुनाने को,
और सुनने वाले वाह - वाह करके चलें जाते हैं..."

"कहा था उनसे मैंने की,
अपना वक़्त ज़ाया ना किया करो हम पर,
कल तुम हिसाब मांगोगे,
और हम हिसाब के कच्चे हैं..."

"अक्सर गुम हो जाया करते हैं भीड़ में वो नाम भी,
 जो कभी मशहूर होते हैं..."

"खूबसूरत चेहरा नहीं होता,
 खूबसूरत तो वो नज़रे होती हैं,
 जो उस चेहरे को देखती है..."

"दिल्लगी करोगे तो दिल टूटेगा ज़रूर,
 कभी उसका, तो कभी तुम्हारा..."

"कमाल है!
गलती भी उन्होंने की है,
और खफ़ा भी खुद हुए हैं,
हम तो ये सोचकर नहीं मना रहे,
की जब होगा उन्हें गलती का एहसास,
तो मान भी खुद जाएंगे..."

"जो पढ़ ना सके वो एहसास तुम्हारे,
तो थोड़ी ज़हमत उठा लेना अपनी जुबाँ से,
तुम जिसे चाहते हो, बेशक अनपढ़ सही,
मगर यकीनन बेहरा तो नहीं होगा..."

"ना जुल्फों से खेलें ना आंखों में डूबे,
 तेरे लबों की मुस्कुराहट से नज़रे हटी ही नहीं,
 की कुछ और सोचते,
बस यूँ ही एक और मुलाकात निकल गई,
अब तुम ही बताओ क्या किया जाए?"

"जितनी शिद्दत से तुम उससे नफरत करते हो ना,
 बस इसी से हम तुम्हारी मुहब्बत की जुनूनीयत का अंदाजा लगा लेते हैं..."

"अजी जनाब!
 हमारे महबूब की अदाओं पर तो दुश्मन दिल हार जाते है,
 हम तो फिर उनसे मुहब्बत करते हैं,
 भला हम उनसे कैसे जीत सकते हैं..."

"कभी - किसी ने सलाह दी थी,
 की बादाम खाया करो अक्ल के लिए अच्छा होता है,
 क्या मालूम था बादाम का दूसरा नाम ठोकर भी है..."

"हाँ! था कभी ऐसा भी वक़्त जब मैं अजनबियों से किए हुए वादे भी शिद्दत से निभाती थी,
 मगर वो वक़्त कभी था, अब है नहीं..."

"सुनो!
 सिर्फ मुहब्बत करना, इबादत नहीं,
 क्युकी इबादत खुदा की होती है,
 तुम उसे खुदा बनाओगे,
 और वो पत्थर बन जाएगा..."

"जरूरी नहीं कि जो मुहब्बत में हारा हो,
 शायरी करने का हक़ सिर्फ उसे है,
कुछ लिखने वालों को अपने ख़यालों से भी तो मुहब्बत हो सकती है..."

"हाँ! यूँ तो मुझे मुहब्बत का इल्म नहीं है,
 मगर सुना है मैने इश्क़ और मुहब्बत करने वालों से,
 की मुहब्बत में जीतने वाला अक्सर अपना दिल हार जाता है..."

"वो शायर है,
 मुहब्बत पर शायरी तो लिखता है,
 मगर मुहब्बत करनी नहीं आती..."

"मुहब्बत के लिए फुर्सत नहीं,
  शिद्दत की ज़रूरत होती है..."

"पहले हम भी नादान थे,
 उनसे मिले तो हाज़िरजवाबी भी आगयी..."

"सुना था हमने इश्क़ का ज़ायका ज़रा नमकीन होता है,
मगर ये मालूम ना था, की ज़ायके का मज़ा दिल पर ज़ख्म लगने के बाद आता है"



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