दो दोस्तों में, ख्यालातों के ज़रिए बातों का सिलसिला कैसे शुरू हुआ?...(भाग -1)

[डिस्क्लेमर: ये कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित हैऔर इसका कोई भी पात्र (character) काल्पनिक नहीं है , परन्तु किन्हीं कारणों से लड़के का नाम अभी गुप्त रखा गया है ,]  

लड़का :-  क्या कर रही हो शायरा ?
शायरा :-  कुछ नहीं।  

लड़का :-  तो कुछ हो जाये। 

शायरा :-  कुछ हो जाये, मतलब ???

लड़का :-  मतलब  ये कि, कोई ख्याल जो तुम्हरे ख्यालों में चल रहा हो, आज उन्हें अपने शब्दों में पिरो दो।  

शायरा :-  "सोच रहीं हूँ बहुत दिनों से कुछ लिखा क्यूँ नहीं? 
                 फिर आयी आवाज़ दिल से, भला लिखती भी क्या?
                 कुछ खास इन आँखों को कई दिनों से दिखा जो नहीं।" 

लड़का :-  वाह! अब ये लो इसका जवाब,   
               "अगर वो दिख जाये तो होश में कौन लाएगा?  
                अगर वो दिख जाये तो होश में कौन लाएगा?
                जो इंतज़ार सदियों में किया है,
                वो मुलाक़ात होते ही दो घड़ी में बीत जायेगा।"   

शायरा :-  वाह!वाह!क्या बात है , बहुत खूब। 

लड़का :-  अब तुम्हारी बारी। 

शायरा :-  "कौन कहता है कि जिंदगी सदियों जितनी लंबी होनी चाहिए??
                 हम तो दुआ करते हैं कि जिंदगी भले ही छोटी हो,
                 मगर इंसान की याद और पहचान, 
                 सदियों तक याद रखने लायक होनी चाहिये।"   

लड़का :-  "मैं जब भी दुआ का नाम लेता हूँ, उसका नाम ज़हन में आता है,
                 पता नहीं मेरा-उसके साथ, या उसका-मेरे साथ क्या नाता है??? 
                 कई बार मांगनी पढ़ती है उस खुदा से माफ़ी मुझे, 
                 की उस खुदा से पहले, उसका नाम जुबाँ पर आता है।"   

शायरा :-  "चल मान लिया! तेरा उससे बड़ा ही गहरा नाता है,
                 ग़र है इतनी फ़िक्र उसकी तो क्यूँ तू शर्माता है?,
                 चल करते हैं वादा तेरे हक़ की माफ़ी हम उस खुदा से मांगेंगे,
                 मगर तू पहले ये बता, कौन है वो जिसका नाम दुआ में आता है??"

लड़का :-  यार इसके बाद मुझे शब्द नहीं मिल रहे।   

शायरा :-  रहने दो तुमसे ना हो पायेगा 😂😂 , रात हो गयी है सो जाओ, शुभ रात्रि 🙏। 

लड़का :-  ये बात है तो, तुम सो जाओ, मैं जवाब भेज कर ही सोऊंगा 😕😕। 

शायरा :-  जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मैं तो चली सोने। 

(इसके बाद लड़का काफी सोचता है और लिखता है।)  
लड़का :-  "फ़िक्र तो हमें इतनी है उसके नाम लेने से, हमें हिचकी भी आती है,
                 जब-जब आती है उसके चेहरे पर हंसी मेरे सारे ग़म भुला जाती है,
                 नाम तो सबके होते हैं, उसका भी है, मगर वो अपनी आवाज़ से पहचानी जाती है,
                 कहती तो है की जुबान की कड़वी है, 
                 मगर अक्सर अपनी बातों से लोगों का दिल जीत जाती है।"    

(शायरा ये जवाब अगली सुबह पढ़ती है, और लिखती है ) 
शायरा :-  वाह! जवाब तो उम्दा है। 

लड़का :-  बहुत वक़्त लगा सोचने में। 

शायरा :-  हाँ! वो तो पता चल गया था... 

लड़का :-  वैसे तुम्हारी आँखें तुम्हरी जुबाँ से ज़्यादा बात करती हैं। 

शायरा :-  तुम ज्यादा बातें मत करो मेरी आँखों से। 

लड़का :-  क्यों?

शायरा :-  "अभी तो आँखों से बात कर रहे हो,
                 कहीं बाद में ना पछताना पड़े,
                 और कहीं ऐसा ना हो को आप दिल दे बैठो हमें,
                 और आपको हमारी दहलीज से खाली हाथ ही जाना पड़े।"  

लड़का :-  "अभी बात शुरू भी नहीं हुई ढंग से ,
                 और तुम पछताने की बात करते हो,
                 दिल दे बैठेंगे हम, वो हमारी परेशानी है, 
                 और हमारी परेशानी से भला आप क्यों डरते हो???"

शायरा :- "दिल आप दे बैठोगे हम नहीं, 
                हमारी आँखों का नशा भी तो कम नहीं, 
                और हमारी आँखों का नशा झेल जाए कोई,
                इतना तो अभी किसी में दम नहीं।"

लड़का :-  "आँखों के नशे की बात करते हो,
                 और आँखों से बात करने से भी रोकते हो,
                 जो दिल दे बैठेंगे हम, तो टूटेगा दिल हमारा ही ना,
                 हमारे दिल के बारे में आप इतना क्यों सोचते हो?"
    
शायरा :-  "हम दोस्त है आपके इसीलिए हम कहते हैं,
                 आपकी हर समस्या का निवारण हम करें,
                 और हम सोचते आपके लिए क्यूँकि, हम नहीं चाहते,
                 कि दिल टूटे आपका और कारण हम बने।"   
लड़का :-  "अगर दोस्त हो तो घबराना मत,
                 दिल दोनों का सलामत रहेगा,
                 और जब समस्या आएगी ही नहीं,
                 तो कोई निवारण या कारण क्या बनेगा।"  

शायरा :- "दोस्त हैं आपके इसीलिए बच कर चलने को कह रहे हैं, 
                वरना यूँ तो कई आशिक़ है शायरा के जो बेवजह दिन-रात आहें भरते हैं,
                मालूम है अंजाम सबको, की कुछ हासिल नहीं होगा,
                फिर भी सुबह-शाम वो अपने खुदा से, मुझसे मिलने की दुआ करते हैं।"     

लड़का :-  "शायरा, तुमने ये बातों-बातों में क्या गजब कर डाला,
                 मैं तो बात करता हूँ दोस्ती के नाते तुमसे,
                और तुमने मुझे ही अपना आशिक़ बना डाला।"  
   
शायरा :-  "किसने कहा की तुम आशिक़ हो शायरा के,
                 मैं तो तुम्हे कल होने वाले हादसे से बचा रही थी, 
                 और ये नहीं कहा मैंने की तुम मेरे आशिक़ हो,
                 मुझसे अक्सर लड़के क्या कहते हैं, बस वही बता रही थी।" 
  
लड़का :-  शायरा जी! इसका जवाब नहीं है मेरे पास, 
                "वैसे एक बात है, तुम लिखती कमाल हो   
                 और सच ही कहा है किसी ने, 
                 तुम छोटे पैकेट में बड़ा वाला धमाल हो।"

शायरा :- शुक्रिया, आपकी तारीफ़ का शुक्रिया 🙏🏻😊। 

इसके बाद ये ख्यालातों के ज़रिए बातों का सिलसिला यही रुक गया, मगर हमेशा के लिए नहीं ,कुछ वक़्त के लिए।  
आगे इन दो दोस्तों में क्या बातें हुई, उसके लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा मतलब अगले भाग का। 
और अगले हिस्से में आपको ये भी बताएँगे की लड़के का नाम क्या है ??? 
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धन्यवाद  🙏🏻😊
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Comments

  1. Awesome conversation,
    Mam is conversation ko continue rkhe.
    Waiting for next part

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  2. जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो,
    जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो,
    कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं,
    जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो

    ये छोटी कमैंट्स आप के विचार के लिए 👌👌👌👌👌👌

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