Posts

दंगे-फसाद

क्यूँ करते हो दंगे-फसाद?, क्या हासिल होगा इन सबके बाद?,  देश तो आज़ाद है कई सालों से, मगर हम कब होंगे अपनी स्वार्थी सोच से आज़ाद??? जब निकलती हूँ अपने घर से, तो माँ कहती है "मेरी बेटी को किसी की नज़र ना लगे", मगर मुझे इन्तज़ार है उस दिन का,  जब किसी को सड़क पर निकलने में डर ना लगे... इतना क्रोध, ये आक्रोश,  सही जगह पर दिखाओ ना, इतनी ही आग है ज़हन में, तो सरहद पर ज़ोर लगाओ ना... Corona जैसी मुसीबत का हल निकला है, तो ये मसला भी टल जाएगा, ग़र तुम ऐसे ही आग लगाते रहे, तो आँगन तुम्हारा भी ना बच पाएगा... FOR MORE YOU CAN CONNECT ME ***********************************************************************************

मेरा दिल क्यूँ तोड़ दिया???

मैं तो नन्ही सी बच्ची थी, मेरा दिल क्यूँ तोड़ दिया?, मेरी माँ ने घर की खातिर, घर का दामन छोड़ दिया... भूल नहीं पायी मैं अबतक, कैसा-कैसा ज़ुल्म किया, खता किसी की, सज़ा किसी को, कैसा ये इंसाफ किया???  कभी गिराया, कभी सम्भाला, सबने इक-इक ज़ख्म दिया, सज़ा वो देगा ऊपर वाला, मैंने अपना कर्म किया... याद है मुझको, वो भी इक दिन,  जब मैंने रोना छोड़ दिया, गलती उसके बच्चे की थी, उसने मेरा हाथ मरोड़ दिया... वो था उसका अपना बच्चा, मैं ठहरी औलाद किसी की, सबको दिखता दर्द है अपना, नहीं यहाँ तकलीफ़ किसी की...  शायद उसे मालूम ना होगा,  कि दर्द मुझे भी होता है, देख के खाली घर को मेरे, मेरा दिल भी रोता है...  उसने सोचा मैं पत्थर हूँ,  इसीलिए तो तोड़ दिया,  सीख लिया ज़ख्मों पर हँसना,  अब मैंने रोना छोड़ दिया... काँच जो टूटे, ज़ख्म है लगता,  दिल ने कब, किसको ज़ख्म दिया,  दिल ही था, कोई काँच नहीं था, क्या हुआ जो तोड़ दिया??...  हर दिन पूछे ये दिल मुझसे,  माँ की तेरी मज़बूरी थी,  शौक नहीं जो छोड़ दिया,  तू तो थी मासूम सी बच्ची,  फिर तेरा ही दिल क्यूँ तोड़ दिया???? FOR MORE YOU CAN CONNECT ME *****************

मैं कह नहीं पा रहीं हूँ...

क्यों नहीं हो रहा हासिल,  जो मैं हासिल करना चाह रहीं हूँ?, दिल भरा है बातों और अल्फाजों से, फिर भी क्यों मैं कह नहीं पा रहीं हूँ?? यूँ तो सहा है बहुत दर्द इस दिल ने, फिर आज ये ज़रा-सी तकलीफ़, क्यों मैं सह नहीं पा रहीं हूँ?? दिल भरा है बातों और अल्फाजों से, फिर भी क्यों मैं कह नहीं पा रहीं हूँ?? कभी कह दिया करती थी, हर बात यूँ ही बेधड़क, फिर क्यों सिल से गए हैं मेरे होंठ, क्यों आज मैं कुछ कह नहीं पा रही हूँ?, दिल भरा है बातों और अल्फाजों से, फिर भी क्यों मैं कह नहीं पा रहीं हूँ?? जुबाँ मेरी खामोश है,  मगर दिल से चुप हो नहीं पा रही हूँ, दिल भरा है बातों और अल्फाजों से, फिर भी क्यों मैं कह नहीं पा रहीं हूँ?? यूँ तो हर बार रखा है सब्र मैंने, मगर इस बार का इंतज़ार मैं सह नहीं पा रही हूँ, दिल भरा है बातों और अल्फाजों से, फिर भी क्यों मैं कह नहीं पा रहीं हूँ?? यूँ तो कई बातें समझी हैं मैंने बिन कहे भी, मगर इस बार खुदा का इशारा मैं समझ नहीं पा रही हूँ,  शायद इसीलिए अल्फाजों के होते हुए भी,  इस बार मैं कुछ कह नहीं पा रहीं हूँ... FOR MORE YOU CAN CONNECT ME **************************************

मर्दों से नफ़रत

[DISCLAIMER : ये हक़ीक़त है कोई कहानी नहीं, मगर किरदारों के नाम बदल दिए गए हैं, उनकी असली पहचान गुप्त रखने के लिए, उम्मीद है की ये कहानी आप सिर्फ पढ़ें नहीं बल्कि इसे समझे भी। और ये कहानी आपको कुछ सीखा सके, जिसका आपके जीवन में अच्छा प्रभाव पड़े]    क्या ऐसा हो सकता है की किसी को अपने विपरीत लिंग  (OPPOSITE GENDER) से इतनी नफरत हो, की वो उसके बारे में बात करना तो दूर बल्कि वो प्रकृति के नियम को ही बदलना चाहे???  या फिर अपने जीने का तरीका ही बदल दे ??? जी हाँ ऐसा हो सकता है और ऐसा हुआ भी है, ये कहानी है पूर्वी दिल्ली में रहने वाली एक लड़की नव्या की, नव्या यूँ तो बहुत प्यारी और मदद करने वाली लड़की है मगर उसे लड़को से सख्त नफरत है, इतनी नफरत की वो ना  कभी शादी करना चाहती है, और ना ही कभी किसी लड़के का ज़िक्र करती है।  ख़ैर, यूँ तो इस किस्से में कई किरदार हैं मगर दो किरदार बहुत खास है, मोहिनी और नव्या। ये दोनों दोस्त नहीं बल्कि जिगरी दोस्त हैं। हालाँकि मोहिनी और नव्या दोनों ही दिल्ली की रहने वाली है मगर एक पूरब है तो एक पश्चिम। ये इनके किरदार की ही नहीं बल्कि इनके रहने की दिशाएं भी हैं।  जी हाँ!  नव

क्यों पूछता है???

है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है... (2x) ये करते हैं, तुझसे सवाल आजकल जो, दिया क्या इन्होने ये दिल पूछता है... है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है...  जगह मेरे दिल में है, बस इक जूनून की, हर कोई अपनी जगह पूछता है... है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है... दिया मैंने अपना वक़्त हर किसी को, फिर भी क्या दिया है, ये जग पूछता है...    है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है... जो भी किया है, वो खुद ही किया है, दिया कुछ नहीं जब, तो क्यों पूछता है??? है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है... करेंगे हम हासिल मकां जो है सोचा, दुबारा मिलेगा ना तुझको ये मौका,  क्या है तेरे दिल में, तू क्या सोचता है,  खुलके पूछ ले आज जो पूछता है... है कल का ये साया मुझे नोचता है, किया क्या है हासिल हर कोई पूछता है... FOR MORE YOU CAN CONNECT ME ***********************************************************************************