जिंदगी ने मुझे कभी अपनाया नहीं।


मेहनत तो की मैंने, मगर परिणाम कभी आया नहीं ,
या ये कहूँ की इस जिंदगी ने मुझे कभी अपनाया नहीं। 

जो भी मिला उसने यही कहा की बेइंतहां प्यार है उनके दिल में,
कभी किसी ने ढंग से जताया ही नहीं,
या इस जिंदगी की तरह उन्होंने भी मुझे अपनाया नहीं।  

वादा सबने किया साथ निभाने का, 
मगर मेरी तरह शिद्दत से किसी ने वादा निभाया नहीं,
शायद इस जिंदगी की तरह उन्होंने भी मुझे अपनाया नहीं। 

मुझसे हाथ बढ़ा कर मदद सबने मांगी,
मगर मेरी ज़रूरत पर किसी ने अपना हाथ बढ़ाया नहीं,
क्यूँकि इस जिंदगी की तरह उन्होंने भी मुझे अपनाया नहीं।  

मालूम थी मुझे सबकी हक़ीक़त, फिर भी दिल में दबा कर रखा मैंने हर राज़, 
किसी को, किसी का सच बताया नहीं,
क्यूँकि वाक़िफ़ थे हम इस बात से, की इस जिंदगी की तरह उन्होंने भी मुझे अपनाया नहीं।  

सबने सुनाया अपना हाल-ए-दिल मुझे,
मैं सुनती रही सबका दर्द, मगर अपना दर्द किसी को दिखाया नहीं,
क्यूँकि मालूम था मुझे की इस जिंदगी की तरह उन्होंने भी मुझे अपनाया नहीं।  

हर कोशिश की मैंने अपनी मंजिल को पाने की,
हर बार गिरी मगर अपनी हिम्मत को मैंने हराया नहीं,
बस एक ही बात समझायी खुदको की हासिल होगी मेरी मंजिल कभी न कभी,
गले लगाएगी ये जिंदगी और क़िस्मत मुझे एक ना एक दिन,    
क्या हुआ जो आज इस जिंदगी ने मुझे अपनाया नहीं???? 

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