ये दिल अब आवारा हो गया है....


कल तक ठिकाना ढूंढता था ये दिल,
ना जाने क्यूँ अब बंजारा हो गया है,
ये दिल पहले तो ऐसा नहीं था,
ना जाने क्या हुआ, जो ये आवारा हो गया है...?

कल तक बस उस एक शिद्दत वाली मोहब्बत की चाहत थी इसे,
अब अचानक ये सबकी आँखों का तारा हो गया है,
ये दिल पहले तो ऐसा नहीं था,
ना जाने क्या हुआ, जो ये आवारा हो गया है...?

कल तक ये नजरें, नजरों में खूबसूरती तलाशती थी,
आज इन्हीं नजरों के आगे, बेकार हर नज़ारा हो गया है,
ये दिल पहले तो ऐसा नहीं था,
ना जाने क्या हुआ, जो ये आवारा हो गया है...?

कल तक इस दिल को ख्वाहिश थी उस एक चाँद की,
आज इसका ख़्वाब आसमाँ का हर सितारा हो गया है,
ये दिल पहले तो ऐसा नहीं था,
ना जाने क्या हुआ जो ये आवारा हो गया है...?

कल तक ये दिल यकीन कर लेता था, आँख बंद करके,
आज खुली आँखों से भी भरोसा करना इसे ना-गवारा हो गया है,
ये दिल पहले तो ऐसा नहीं था,
ना जाने क्या हुआ जो, ये आवारा हो गया है...?

कभी डूबा था ये भी इश्क़ के समन्दर में,
मगर अब लहरों से बेहतर समन्दर का किनारा हो गया है, 
इश्क़ करके ही इस दिल को अक्ल आयी है,
शायद इसीलिए ये दिल अब आवारा हो गया है....

ऐसी ही और भी कई कविताओं के लिए क्लिक👆🏻 करें नीचे⬇️ दिए गए लिंक पर...

कविता

FOR MORE YOU CAN FOLLOW ME

*********************************************************************************

Comments