मेरी एक दोस्त (TANU)

मेरी एक दोस्त है जो बन गई है, कुछ दिनों में बहुत खास,
वो रहती है दूर, मगर है मेरे दिल के पास,  
क्या अहमियत है उसकी मेरी जिंदगी में,
उस बुद्धू को नहीं है, इस बात का एहसास। 

चेहरे से तो सुन्दर है ही, मगर दिल से और भी खूबसूरत है,
इस झूठ से भरी दुनिया में, वो सच्चाई की जिन्दा मूरत है।    

वो है नादान कुछ मेरी ही तरह, ये मैं उसकी आँखों में देख सकती हूँ,
या ये कहूँ की उसमें मैं अपना बीता हुआ कल देख सकती हूँ। 

हाँ! वो थोड़ी नादान है और ज़रा-सी पगली भी है,
मगर है सोने-सी खरी पीतल-सी नकली नहीं है,
मेरी जिंदगी में थी जिस दोस्त की कमी बरसों से,
अब लगता है ये झल्ली वही है। 

याद है मुझे जब मिले थे पहली बार,
दिल कर रहा था काट दूँ वक़्त की डोर किसी कैंची से,
क्यूँकि बरसों का इंतज़ार उसके आते ही बीत रहा था बहुत तेज़ी से। 

उतर गया था मेरा चेहरा उसे देखकर वापस जाते,
कल फ़ोन आया तो बता रही थी, 
याद है उसे मेरा LOVE YOU-2  कहना जाते-जाते।   

गुस्सा तो बहुत आता है सोचकर की ये बीते लम्हें वापस क्यूँ नहीं आते,
मुझे जब भी आती है उसकी याद ये घड़ी के कांटे मुझे और है चिढ़ाते। 

हाँ! ये सच है कि मुझे है अगली मुलाक़ात का बेसब्री से इंतज़ार,
और ये भी की एक-दूसरे से मिलने को हम दोनों है बेकरार,
ये दुनिया पागल है जो हमारी दोस्ती को समझती है तीन सौ सस्तर (IPC377) वाला प्यार,
मैं बस इतना कहूँगी की अपने मन की कर TANU और दुनिया को गोलीमार। 


(DEDICATED TO MY FRIEND, TARUNA SHARMA)  
&
FOR MORE WRITE-UPS YOU CAN FOLLOW  

 




      




     
 
       

Comments

Post a Comment