दो दोस्तों में, ख्यालातों के ज़रिए बातों का सिलसिला कैसे आगे बढ़ा?...(भाग -2)

[डिस्क्लेमर: ये कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित है, और इसका कोई भी पात्र (character) काल्पनिक नहीं है ]

नमस्कार 🙏 दोस्तों! जैसा की हमने पिछले भाग में कहा था, की अगले भाग में हम आपको लड़के का नाम बताएँगे, तो लड़के का नाम है शेखर शर्मा (👈🏻इसमें लड़के का INSTAGRAM का लिंक है)  और लड़की कौन है ये आपको पता है.... 

और अगले भाग में दोनों दोस्तों के बीच और क्या ख्यालातों के ज़रिए बातें हुई  ये भी बताएँगे। 

तो बात कुछ यूँ हुई उनके बीच..... 

शायरा:- कहाँ हो उस दिन के बाद तुमने बात ही नहीं की?

शेखर:- क्या बात है मेरे रिप्लाई का इंतज़ार हो रहा था? 

शायरा:- जादा खुश मत हो, सिर्फ शायरी का? तुम्हारा नहीं 🤭...

शेखर:- आज शायरी का है क्या पता कल शायर का हो 🤭...

शायरा:-  "हम ख्वाब तुम्हारे देखते हैं, 
                तुम ये ख्वाब देखना छोड़ दो, 
                इससे पहले टूटे दिल तुम्हारा, 
                तुम ये फ़िज़ूल के ख्याल छोड़ दो।"    

शेखर:-   "मोहब्बत एक ख्याल नहीं एहसास है, जो हर किसी के पास है,
                कोई दिल क्या तोड़ेगा'हमारा वो तो किसी और के पास है, 
                कैसे छोड़ दू तुम्हे खयालो में भी, उसमे भी तो तुम्हारा ही एहसास है।" 


शायरा:- "बातों में घूमना कोई तुमसे सीखे,
               क्या गजब का हुनर तुम्हारे पास है,
               और हमने पूछा था पहले भी, अभी भी पूछ रहे हैं,
               कि आखिर वो कौन है तुम्हारा दिल जिसके पास है?  

शेखर:- "ये हुनर नहीं, ये है दिल के एहसास का कमाल,
              रहने दो थक जाओगे पूछ पूछ कर एक ही सवाल,
              और क्या करोगे जानकर? 
              उसके बारे में, जो है सब में बेमिसाल।"   

शायरा:- "एक तरफ वो हमे दोस्त का दर्ज़ा देते हैं,
               और अपनी दिल की बातें हमसे छुपाते हैं,
               पहले खुद जिक्र करते उस नाज़नी का,
               और जब सवाल करो तो जवाब टाल जाते हैं। 

शेखर:- "है वादा तुझसे,दोस्ती का फर्ज़ आखरी नब्ज़ तक निभाऊंगा,
              जब-जब टूटेगी तेरी उम्मीद हर बार उसे मैं बनाऊंगा,
              संघर्ष में तेरे आगे और ख़ुशी में तेरे पीछे खड़ा नज़र आऊंगा,
              मत मांग जवाब उस नाज़नीं का, वरना मैं नज़रों की बातें तुझसे ना कर पाऊंगा।"     

शायरा:-  हाय! क्या बात है, कमाल लिखने लगे हो तुम, लो फिर इसी बात पर। 
              "इस इश्क़ ने कैस को मजनू, और ऋषि को शायर बना डाला,
               सही कहते हैं लोग कि मुझमें नशा ही अलग है,
               तभी तो एक दवा देने वाले को इस शायरा ने, शायर  बना डाला... 

शेखर:-  "तुम समझ रही हो मुझे मजनू, तो ये तुम्हारा वहम है,  
               इस दवा देने वाले का एक अलग ही एहम है,
               नहीं जानता मैं इश्क़ और उसके रास्ते,
               मुझे कभी आवारा आशिक़ न समझना ख़ुदा के वास्ते।"  

शायरा:-  "कितना अहम है तुम में ये हमें नहीं मालूम, मगर वहम ज़रूर है तुम्हे,  
                 तभी तुम्हें लग रहा है कि हम तुम्हें कायर बुला रहे हैं,
                 हमने तो तुम्हें आशिक कहा ही नहीं, 
                 अरे जनाब! हम तो तुम्हें शायर बुला रहे हैं।"

शेखर:- "दवा देने वाले तो सिर्फ मरीज़ों को ठीक करते हैं,
              और ये कमाल शायर अक्सर अपने शब्दों से करते हैं,
              मगर हम शायर है सिर्फ कुछ लोगों के लिए , 
              हम नहीं है शायरा की तरह,जो सबके दिल में बसते हैं।"   

शायरा:- "चलो अच्छा है, की इसी बहाने आप की वज़ह से कुछ लोग हँसते हैं,
               हम उनमें से जिन्हें दुश्मन ही नहीं, दोस्त भी देखकर ताना कसते हैं,
              और सुना था कुछ लोगों को बात करते हुए कुछ रोज़ पहले,
              कि अब हम लोगों के दिलों में नहीं उनके ज़हन में बसते हैं।" 


शेखर:- शायरा जी सोना नहीं है क्या?

शायरा:- चलो ठीक है, लगता है जनाब के पास जवाब नहीं है, शुभ रात्रि😴।   

शेखर:- अरे! ऐसा नहीं है मुझे नींद आ रही है। 

(उस रात शायरा, शेखर का मैसेज देखे बिना ही सो जाती है, मगर अगले दिन जब मैसेज नहीं आया तो उसने लिखा )

शायरा :-  "बहुत मशगूल है मेरा दोस्त आज अपनी दुनिया में,
                की आज उसका ना कोई सलाम, ना ही पैग़ाम आया है,
                यूँ तो कहता है कि हर वक़्त वो मेरी खैरियत की दुआ मांगता है,
                मगर लगता नहीं  कि आज उसकी दुआ में भी  हमारा नाम आया है।" 

शेखर:-  "हाँ! हूँ मशगूल ज़रा दुनियादारी की भागदौड़ में, 
              लेकिन तुम्हारा नाम ना आये हमारी दुआ में वो पल नहीं बना। 

शायरा:- मतलब आप व्यस्त हैं... चलिए कोई बात नहीं। 

(और इस तरह एक बार और शायरा और शेखर के ख्यालातों के ज़रिए बातों का सिलसिला फिर रुक गया, मगर अभी ये जारी रहेगा।  अगले भाग में भी  )

अगर आपने पिछला भाग किसी वजह से मिस कर दिया है तो आप नीचे दिए गए लिंक के ज़रिये पढ़ सकते हैं। 

दो दोस्तों में, ख्यालातों के ज़रिए बातों का सिलसिला कैसे शुरू हुआ?...(भाग -1)

और अगर आपको इसका अगला भाग पढ़ना हो तोआप नीचे दिए गए लिंक के ज़रिये पढ़ सकते हैं।  
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Comments

  1. अति सुन्दर संवाद ❤️👍

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  2. Really a good one��

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  3. मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में तुझे दूसरों का ख्याल है,
    कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर मेरी जिन्दगी का सवाल है।

    उस ख़्याल पर ही मुझे प्यार आ जाता है,
    ज़िक्र जिसमें तेरा इक बार आ जाता है।

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  4. Wahh ......क्या बात है । बेहतरीन लिखा है ।

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  5. Bahot accha likha hai aap ne
    Bahut bekhubi samjhaya hai aap ne dosti ki rishta aur shayar ka shayrana andaz bhi khub bhaya mere man ko

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