वो अल्हड़ है, दीवाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है,
कहता है तुझे घुमाना है,
तुझे शिमला लेकर जाना है।
कभी कहता है मिलने आना है,
ना जाऊँ तो कहे बहाना है,
हाँ! दोस्त मेरा वो जिद्दी है,
और ज़रा दीवाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है।
जो मना करूँ मैं मिलने को,
उसको बस रूठ जाना है,
खुद ही रूठे, खुद ही मनाये,
अजब-गजब दीवाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है।
कभी मुझको बाहर बुलाना है,
कभी उसको घर पे आना है,
बनता है मेरे आगे बुद्धू,
वैसे तो बहुत सयाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है।
कहता है वादा नहीं करूँगा,
और ना मुझे निभाना है,
मैं दोस्त हूँ तेरा, और शुभचिंतक,
बस यूँ ही चलते जाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है।
शादी उसको पसंद नहीं है,
बस दोस्त बनाते जाना है,
कहता है शादी झंझट है,
बस कलेश का बहाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
बस मोहब्बत से बेगाना है।
पर क्या हुआ जो वो अल्हड़ है,
और ज़रा दीवाना है,
है तो अखिर दोस्त मेरा वो,
कौन-सा बेगाना है।
वो अल्हड़ है दीवाना है,
इक मोहब्बत से बेगाना है,
कहता है तुझे घुमाना है,
तुझे शिमला लेकर जाना है।
Dedicated to one of my good friend (Shubham Gupta)
Awesome 😊👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVry well👍
ReplyDelete