खाई है कसम अब खुद को बिलकुल नहीं बचाएंगे
खाई है कसम अब खुद को बिलकुल नहीं बचाएंगे,
खाई है कसम अब खुद को बिलकुल नहीं बचाएंगे,
बारिश हो तो सही,
अरे! बारिश हो तो सही, हम ज़रा क्या पूरा भीग जायेंगे।
और यूँ तो बहुत आलसी हैं हम, फिर भी सज-सवर कर खड़े रहते हैं,
हर शाम अपनी चौखट पर उनके इंतज़ार में,
की कब वो गली से गुज़रेंगे, और कब हम उन्हें देख कर,
शरमाते हुए अपनी नज़रें झुकाएँगे,
खाई है कसम अब खुद को बिलकुल नहीं बचाएंगे,
बारिश हो तो सही, हम ज़रा क्या पूरा भीग जायेंगे।
और उन्हें हमारी हर बात दिल्लगी लगती है,
और उन्हें हमारी हर बात दिल्लगी लगती है,
काश! कोई बताये उन्हें के हम हर रात खुद से सवाल करते हैं,
की कब वो दिन आएंगे जब हम उन्हें "अजी सुनते हो" कहकर बुलाएँगे,
खाई है कसम अब खुद को बिलकुल नहीं बचाएंगे,
बारिश हो तो सही, हम ज़रा क्या पूरा भीग जायेंगे।
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Gud lines..
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