याद है मुझे आज भी...

याद है मुझे आज भी,
वो जब पहली बार उनके होंठ मेरे माथे से टकराए थे,
कहना बहुत कुछ था, पर फिर भी हम उनसे कुछ कह नहीं पाए थे।

कैसे भूल जाऊँ ,
की उस दिन काजल से नहीं मैंने अश्कों से अपनी आँखें सजाई थी,
हाँ! डर तो नहीं था कोई, थोड़ी-सी ही सही, मगर मैं घबराई थी।
सुकून तो मिला उस छुअन से, मगर दिल में बेचैनी बड़ी थी, 
दिल किया कि उछल पड़ु खुशी से, मगर फिर भी मैं स्तब्ध खड़ी थी।

हाँ मुझे याद है,
जब उनके लब मेरे माथे से टकराए थे,
जिस्म तो चला गया उनका अपने घर,
मगर दिल से वो मुझसे दूर जा नहीं पाए थे,
कहना बहुत कुछ था उन्हें भी,
मगर कह वो भी नहीं पाए थे।

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